फंड्स से जुड़े SEBI चीफ माधबी पुरी बुच पर आरोप क्या हैं? आसान शब्दों में समझें पूरा मामला
हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग के अनुसार, दोनों ने 2015 में सिंगापुर में रहते हुए मॉरीशस के IPE Plus Fund में निवेश किया, जिसका संबंध अदाणी ग्रुप के साथ जोड़ा गया है। हिंडनबर्ग के दावे के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- IPE Plus Fund में निवेश
हिंडनबर्ग का दावा है कि माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने 2015 में IPE Plus Fund में निवेश किया, जो कि India Infoline (IIFL) द्वारा चलाया जा रहा था। इस फंड में अदाणी ग्रुप के भाई विनोद अदाणी का पैसा भी शामिल था। - अनिल आहूजा का संबंध
IPE Plus Fund को अनिल आहूजा चला रहे थे, जो पहले अदाणी ग्रुप के डायरेक्टर रह चुके हैं। यह लिंक हिंडनबर्ग द्वारा उठाए गए एक महत्वपूर्ण बिंदु में से एक है। - सेबी प्रमुख की नियुक्ति के बाद का निवेश
माधबी पुरी बुच अप्रैल 2017 में SEBI की निदेशक बनीं। इसके बाद, मार्च 2017 में धवल बुच ने फंड को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने अकाउंट को खुद चलाने की बात कही। इसके बाद फरवरी 2018 में, माधबी और धवल बुच ने फंड के यूनिट्स बेचने का फैसला किया और करीब 9 लाख डॉलर प्राप्त किए। - अदाणी ग्रुप के शेयरों में दखल
हिंडनबर्ग का आरोप है कि IPE Plus Fund का इस्तेमाल विनोद अदाणी द्वारा अदाणी ग्रुप के शेयरों के दाम को बढ़ाने के लिए किया गया। हिंडनबर्ग ने पहले भी आरोप लगाया था कि अदाणी ग्रुप अपने ही शेयरों में पैसे लगाकर दाम बढ़ाता है और यह काम मॉरीशस के फंड के जरिए होता है। - SEBI की जांच और सुप्रीम कोर्ट
माधबी पुरी बुच के SEBI चेयरपर्सन बनने के बाद, अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की जांच SEBI को सौंपी गई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया गया। SEBI ने अपनी जांच में 13 फंड और 42 अकाउंट होल्डर का पता लगाया, लेकिन फंड के पीछे कौन लोग थे, इस पर पूरी जानकारी नहीं दी।
हिंडनबर्ग के आरोप और SEBI की जांच के बीच का यह विवाद भारत की वित्तीय व्यवस्था और अदाणी ग्रुप की स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।