SEBI का बड़ा कदम: SME सेगमेंट में अनरजिस्टर्ड ‘IPO एडवाइजरी फर्म्स’ की भूमिका की हो रही जांच
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) वर्तमान में तीन से चार IPO एडवाइजरी फर्मों की जांच कर रहा है, जो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (SME) सेगमेंट में सक्रिय हैं। SEBI ने यह जांच तब शुरू की, जब उसे शिकायतें मिलीं कि ये फर्में बिना रजिस्ट्रेशन के कंपनियों को IPO के लिए बड़े पैमाने पर निवेश जुटाने में मदद कर रही हैं और उन्हें लिस्टिंग के समय अधिक मुनाफे का आश्वासन भी दे रही हैं। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, ये फर्में मुंबई या अहमदाबाद में स्थित हैं।
समस्या क्या है?
हाल के दिनों में SME IPO सेगमेंट में IPOs के लिए भारी सब्सक्रिप्शन देखा गया है। कई इश्यूज को 100 गुना से भी अधिक सब्सक्राइब किया गया है, और उसके बाद लिस्टिंग के समय बड़ा मुनाफा भी हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, SME IPO सेगमेंट में कई ऐसी IPO एडवाइजरी फर्में सक्रिय हैं, जो SEBI के दायरे में नहीं आतीं और रजिस्टर्ड भी नहीं हैं। यही कारण है कि ये कंपनियां किसी भी नियमों या रेग्युलेशंस से बंधी नहीं हैं।
ये फर्में कैसे काम करती हैं?
ये फर्में IPO की योजना बना रही SME कंपनियों से संपर्क करती हैं और उन्हें भारी सब्सक्रिप्शन का आश्वासन देती हैं, जिससे लिस्टिंग के समय अच्छा मुनाफा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए ये कंपनियां ब्रोकर्स और निवेशकों के एक भरोसेमंद नेटवर्क की सहायता लेती हैं।
इसके अलावा, कंपनियों को संस्थागत निवेशकों के नेटवर्क का भी समर्थन मिलता है, जो इस प्रकार के निवेश के लिए एंकर निवेशक के रूप में आते हैं। इस प्रक्रिया में, कंपनियां फ्रेंडली मर्चेंट बैंकरों पर भरोसा करती हैं, जो उन्हें सभी रेग्युलेटरी अनुपालनों में मदद करते हैं।
ओवरसब्सक्रिप्शन पर सवाल
SEBI ने SME IPO सेगमेंट में भारी ओवरसब्सक्रिप्शन और लिस्टिंग के बाद अधिक मुनाफे के कारण यह जांच शुरू की है। प्राइम डेटाबेस के डेटा से पता चलता है कि मई में लॉन्च हुए HOAC फूड्स इंडिया के 5.10 करोड़ रुपये के IPO को 1,963 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था। इसके तुरंत बाद, मैजेंटा लाइफकेयर का 6.64 करोड़ रुपये का IPO आया, जिसे 1,002.56 गुना सब्सक्रिप्शन मिला।
इस साल 6 से अधिक SME IPO ऐसे रहे हैं, जिन्हें कम से कम 600 गुना या उससे अधिक सब्सक्रिप्शन मिला। टॉप 10 SME IPO में से 8 इसी साल लॉन्च किए गए। इस संदर्भ में, SEBI की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने मार्च में SME IPO सेगमेंट में संभावित हेरफेर पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, “हमें SME सेगमेंट में कुछ हेरफेर के संकेत मिल रहे हैं… हम कुछ खास पैटर्न देख रहे हैं। हालांकि, इस मामले को पूरी तरह से समझने और मजबूत तरीके से कार्रवाई करने के लिए हमें थोड़ा समय चाहिए।”
प्राइम डेटाबेस के डेटा से यह भी पता चलता है कि SME IPOs ने इस साल पूंजी बाजार से सर्वाधिक फंड जुटाने का रिकॉर्ड बनाया है। जनवरी से जुलाई के बीच, 144 SME कंपनियों ने IPOs के जरिए 4,800 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि पिछले साल 182 SME IPOs से 4,686 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।
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