टैक्सेशन में बदलाव के बाद इन फंड्स को होगा फायदा—जानें, निवेश करना कितना लाभदायक?
हाल के बजट में कैपिटल गेन्स टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव के बाद निवेशक बेहतर निवेश विकल्पों की तलाश में हैं। इस संदर्भ में भारतीय निवेशक अपने पोर्टफोलियो में इंटरनेशनल, हाइब्रिड, और मल्टी एसेट फंड्स को शामिल कर सकते हैं। यह निवेशक न केवल जोखिम को प्रबंधित कर सकते हैं बल्कि करेंसी डेप्रिसिएशन से भी फायदा उठा सकते हैं।
1. इंटरनेशनल फंड्स
टैक्स में बदलाव के बाद इंटरनेशनल फंड्स को विशेष रूप से लाभ होने की उम्मीद है। बजट में इंटरनेशनल फंड ऑफ फंड्स (FOF) के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के टैक्स स्ट्रक्चर और होल्डिंग पीरियड को संशोधित किया गया है।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स: 24 महीने की होल्डिंग अवधि के साथ स्लैब दरों पर टैक्स लागू होगा।
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स: अगर होल्डिंग पीरियड 24 महीने से अधिक है, तो 12.5% की टैक्स दर लागू होगी।
कुछ पॉपुलर इंटरनेशनल फंड्स में मोतीलाल नैस्डैक 100 फंड, डीएसपी ग्लोबल इनोवेशन फंड, और एडलवाइस यूएस टेक्नोलॉजी इक्विटी फंड शामिल हैं।
2. हाइब्रिड फंड्स
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स (BAFs), जिनकी इक्विटी होल्डिंग 35-65% के बीच होती है, को भी टैक्स में कमी का लाभ मिलेगा।
- BAFs: 2 साल तक होल्ड करने पर 12.5% टैक्स लगेगा।
- बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड्स (50:50 डेट इक्विटी एलोकेशन): कम टैक्सेशन का फायदा मिलेगा।
ये फंड्स कंजर्वेटिव रिस्क प्रोफाइल वाले निवेशकों के लिए अच्छे विकल्प हैं और इनके रिटर्न प्योर डेट फंड्स से अधिक हो सकते हैं।
3. मल्टी एसेट फंड्स (MAFs)
मल्टी एसेट फंड्स जिनकी इक्विटी होल्डिंग 35-65% है, पर भी 12.5% टैक्स लगेगा।
- कमोडिटी में 10% हिस्सेदारी: MAFs के लिए आवश्यक है।
- सोने या चांदी की होल्डिंग बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
इन फंड्स का चयन निवेशकों को अपनी एसेट एलोकेशन जरूरतों के आधार पर करना चाहिए। टैक्स में हुए बदलावों से MAFs को विभिन्न एसेट्स में संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।